Video link- https://youtu.be/IifVzjgF5e4
In this conversation, Subuhi Khan explains why she calls herself a “Sanatani Muslim”, talks about her upbringing, her parental and other influences that led her closer to Sanatan Dharm in defiance of her community’s politics of hostility against Hindu faith traditions.
किश्वर: आज मैं आपका परिचय एक बहुत ही अनोखी शख्सियत से करवाने जा रही हूं, जो मेरी बहुत प्यारी मित्र भी हैं। मैं यह भी कह सकती हूं कि छोटी बहन सरीखी हैं। आपने सुबुही खान को टीवी debate में अपने बेबाक अंदाज को रखते हुए कई बार देखा होगा, लेकिन आज हम उन विचारों पर, यह उन बहसों पर नहीं पड़ने वाले। आज हम समझेंगे कि उन बेबाक विचारों के पीछे जो व्यक्तित्व है, वह कैसे प्रखर हुआ, उसके पीछे क्या–क्या अनुभव रहे, यह विचार कहां से उभरे? आज मैं उस व्यक्तित्व से आपकी मुलाकात करवाऊंगी।
कई दिन से यह मेरे दिमाग में था कि मैं आपसे बात करूं। मैं चाहती हूं कि लोग जानें सुबुही खान कौन हैं। सुबुही, आपको बहुत लोग बीजेपी से जोड़कर देखते हैं। क्या आप बीजेपी के कार्यकर्ता हैं, या बीजेपी से कोई रिश्ता है आपका?
सुबुही: नहीं, बिल्कुल नहीं। ना ही मैं बीजेपी की कार्यकर्ता हूं, ना ही मैंने formally बीजेपी join करी है। जी मैंने बीजेपी को वोट जरूर दिया है और बीजेपी जो काम करती है उसके ऊपर मैं बहुत प्रखर होकर बोलती भी हूं। बहुत सारी चीजें जो मैं देश में चाहती हूं जो होनी चाहिए, वह हो रही हैं।
किश्वर: तो कोई और संस्था है जिससे आप जुड़ी हुई हैं क्योंकि लोग आपको बहुत हिंदुत्ववादी समझ रहे हैं? तो आप किस संस्था से जुड़े हैं, किस विचारधारा से जुड़ी हैं, जिसकी वजह से आप बेबाकी से अपने विचार रखती हैं क्योंकि आपकी community के लिए तो यह बहुत अखरने वाली बात है, क्या मैं सही हूं?
सुबुही: मेरी community से मुझे acceptance कम मिलता है लेकिन जैसे अब मैं अपने विचारों में और प्रखर होती जा रही हूं तो मुझे मेरी community में अब पहले की तुलना में ज्यादा acceptance मिलता है। मेरी विचारधारा मानव केंद्रित और प्रकृति केंद्रित है। मुझे पढ़ने का बहुत शौक है, मैंने अलग–अलग किताबें पढ़ी, अलग–अलग संस्थाओं के बारे में पढ़ाई की मैंने, तो मुझे अपनी विचारधारा के नजदीक संघ की विचारधारा लगी, जिसको हम RSS के नाम से जानते हैं।
किश्वर: अच्छा तो आप संघ के करीब हैं। यह सब तो मुसलमानों के लिए गाली समान है। यह तो आश्चर्य की बात है क्योंकि किसी भी मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति के लिए RSS की तारीफ करना तो बहुत ताज्जुब की बात है, तो कैसे आप संघ के करीब पहुंची? मैं तो देखती हूं कि युवाओं ने भी इस देश का एक ऐसा anti-national narrative बना दिया गया है, यह लोग RSS को एक radical संस्था बोलते हैं, यह लोग इनको जैश ए मोहम्मद, लश्कर–ए–तैयबा से तुलना कर देते हैं।
सुबुही: जब तक मैं इनको नहीं जानती थी तब तक मुझे भी लगता था कि यह बहुत ही कट्टर संस्था है लेकिन जब से मैं इनसे जुड़ी हूं तो अब मैंने समझा है कि कैसे बिना किसी लालच के यह लोग अपने को देश के लिए कुर्बान कर देते हैं। कुछ लोग ठीक हैं politics में चले जाते हैं लेकिन majority of RSS people नहीं जाते हैं। बिना किसी लालच के वे लोग देश की सेवा करते हैं। इतने ज्यादा contact होने के बावजूद वे लोग जमीन पर चादर बिछा कर सोते हैं। संघ के बहुत ही वरिष्ठ प्रचारक हैं जिसको मैं मामाजी बोलती हूं, तो मैंने उनसे पूछा कि सामाजिक कार्य करने में मजा तो बहुत आता है। मुझे भी लगता है कि मैं देश की सेवा करूं, लेकिन कई बार ऐसा लगता है कि अपने निजी कार्य पर असर हो रहा है, क्योंकि पेशे से मैं वकील हूं तो मुझे कई बार वकालत में भी समय देना पड़ता है और सामाजिक कार्य में पैसे तो नहीं आते। सिर्फ अपना ही लगता है, घर पर आर्थिक दबाव भी पड़ता है, बहुत सारी चीजें हैं तो कैसे हो पाएगा? तो उन्होंने मुझसे पूछा कि बेटा, क्या तुम्हारे पास driver है? मैंने बोला हां। फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या तुम्हारे पास माली है? तो मैंने बोला हां, तो तुम उन लोगों की जरूरतों का तो ख्याल रख रही हो, तो यही सेवा है।फिर उन्होंने बोला कि जब तुम इन लोगों का ख्याल रख रही हो, तो भगवान तुम्हारी जरूरतों का ख्याल नहीं रखेगा? तो आप समाज को जब योगदान देते हो तो फिर भगवान आपको देखता है। फिर मुझे लगा कि अगर ऊपर वाले ने मुझे चुना है इस काम के लिए तो he will take care of the resources.
किश्वर: आप बार–बार सनातनी मुस्लिम, सनातनी विचारधारा का प्रयोग…Continued in the video.
To hear the full conversation, please watch the video at- https://youtu.be/IifVzjgF5e4