मेरे देश के किसान और जवान दोनों एक दूसरे के सामने खड़े हैं, पिछले 10 दिनों से दिसंबर के इस शुरूआती ठंड में सरकार के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहें है। ऐसा भी नहीं है कि यह किसान आंदोलन अचानक से आरंभ हो गया दरअसल यह आंदोलन तो पिछले 2 महीनों से चल रहा है लेकिन इस आंदोलन ने अपनी पहचान देश की राजधानी दिल्ली की दहलीज पर आकर बना ली, पंजाब और हरियाणा से आये किसानों का बस एक ही नारा है "सरकार ये काले क़ानून को वापस लें" दरअसल कृषि बिल को लेकर जो किसान आंदोलन कर रहें हैं उनमें से ज़्यादातर किसान कम बल्कि किसान नेता बनकर सामने आ रहें हैं और अपनी बातों को मंच से सरकार के सामने रख रहें हैं।
मैं पिछले 10 दिनों से इस आंदोलन को नियमित रूप से कवर कर रहा हूँ, मेरे अनुभव अब तक यही रहें हैं की इस आंदोलन का अगुआ कोई और है जो अदृश्य है (ग़ायब) है, 500 से ज्यादा किसान नेता अलग–अलग यूनियन बनाकर इस किसान आंदोलन में अपनी–अपनी रोटियां सेंक रहें हैं, भले ही ठंड का महीना चल रहा हो पर इस आंदोलन में गर्म आग के लकड़ी के चूल्हे 24 घंटे जल रहें हैं, शाही लंगर चलाया जा रहा है, खाने में पनीर से लेकर ड्रिंक तक मांगा ली जाती है, मैंने बहुत से आंदोलन अपने पत्रकारिता जीवन में एक बतौर संवाददाता के तौर पर कवर किये हैं लेकिन ऐसा शाही आंदोलन अब तक अपनी नजरों से नहीं देखा था यहाँ चाय पूरे दूध वाली पीने को मिलती है, यहां अन्य आन्दोलनों के तरह खाने में डिब्बे वाली 4 पूड़ियाँ या आलू की सब्जी नहीं बल्कि मशरूम और मक्खन वाली दाल वो भी देशी घी से नहाई हुई रोटियां मिलती है, पानी का बिसलेरी बोतल तो मानो आम हो आंदोलनकारी उस बोतल के पानी से कुल्ला करते हैं और मुंह तक धोते हैं।
मैंने इस आंदोलन में आये बुराड़ी मैदान में बैठे किसानों से बातचीत की उनसे बात करने के बाद मुझे ये लगा की ये बेचारे तो वाक़ई में मेरे अन्नतदाता हैं, वो भी सच्चे वाले चेहरे पर थकान आंखों में नींद ना पूरी होने का "दर्द" ये सब मेरे कैमरे के फ्रेम में साफ–साफ दिखाई पड़ रहा था, ये किसान बताने लगे हम 2 महीनों से अपने घर नहीं गए हमारे पशुओं को खेतों को हमारी औरतें संभाल रहीं हैं, सरकार हमारी मांगो को पता नहीं कब मानेगी हमारे नेता लगातार मोदी सरकार के मंत्रियों के साथ मीटिंग कर रहें हैं लेकिन कोई हल निकलता नहीं दिखाई दे रहा है।
ये सारी बातें अभी मैं अपने कैमरे में रिकॉर्ड कर ही रहा था की तभी एक किसान नेता प्रकट हुए, आंखे टर्राते हुए मेरे तरफ़ देखते हुए बोले गोदी मीडिया ने सब ख़राब कर रखा है, मैंने भी अपना कैमरा तुरंत ऑन कर के इस अचानक से प्रकट हुए किसान नेता के तऱफ कर दिया और पूछने लगा बताइये आप ये आंदोलन क्यों कर रहें हैं? आखिर ये आंदोलन कब तक चलेगा? जैसे ही इस किसान नेता ने बोलना आरंभ किया मैंने शाहीन बाग़ का ज़िक्र किया, तो किसान नेता ने मुझे बताया की उन्होने शाहीन बाग के आंदोलन में मुस्लिम भाइयों के लिए लंगर की सेवा दी थी और अब उनको उम्मीद है इस दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में शाहीन बाग के मुस्लिम भाई उनकी मदद करेंगे।
इस आंदोलन में शाहीन बाग़ के मुस्लिम भाई भी मदद कर रहे हैं, हमने उनके CAA/NRC आंदोलन में लंगर सेवा दी थी
बातचीत जब आगे बढ़ने लगी तो उन्होंने बताया हमारे दूध और हमारे दरियों की व्यवस्था वीरपाल की व्यवस्था कोई मुस्लिम भाई ही कर रहा है और दरअसल इस किसान आंदोलन के जरिए केंद्र सरकार पर जबरदस्त तरीके का दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है। इस आंदोलन को फंडिंग हो रही है इसमें दो राय नहीं है क्योंकि आंदोलन में चल रही व्यवस्थाओं के आधार पर ही आकलन किया जा सकता है कि इसमें जबरदस्त तरीके की फंडिंग की जा रही है। यह सभी किसान नेता बहुत ही होशियार हैं, किसी को भी अपने आंदोलन में राजनैतिक तौर पर खुलकर नहीं आने देना चाहते हैं। पूरे आंदोलन की कमान खुद ही संभाल कर के चल रहे हैं।
अपनी रिपोर्टिंग के दौरान मैंने यह भी देखा आंदोलन के तीसरे-चौथे दिन से बुराड़ी मैदान में आम आदमी पार्टी के नेता दिखने लगे। आम आदमी पार्टी के विवादित विधायक और दिल्ली दंगों के मास्टरमाइंड शाहीन बाग के प्रदर्शन को समर्थन करने वाले अमानतुल्लाह खान भी दिखे, बुराड़ी के विधायक संजीव झा भी दिखे आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता राधे चड्ढा भी नजर आए। कांग्रेस की बात करें तो अलका लांबा और कांग्रेस सेवा दल के कई कार्यकर्ता इस आंदोलन के समर्थन के लिए किसानों के बीच घुसपैठ बना रहें थे लेकिन किसानों ने इन्हें भगा दिया। कांग्रेस सेवा दल को जब किसानों ने भगाया मैंने इस वीडियो को रिकॉर्ड किया।
कांग्रेस सेवादल के कार्यकर्ताओं को किसानों ने बुरारी मैदान से इस तरह भगाया गया
जब मैं ने किसानों से बात किया तो उन्होंने बताया वह अपने आंदोलन में किसी प्रकार का राजनीतिकरण नहीं चाहते हैं, सेवा करनी है तो सादे कपड़ों में आए पार्टी के बैनर या टोपिया ना लगाकर आये। शाहीन बाग के जिक्र को पहले ही मैंने अपने चैनल पर स्पष्ट कर दिया था और किसान नेता का वह इंटरव्यू भी दिखाया था जिसमें उसने शाहीन बाग का जिक्र किया था। इससे साफ हो गया था आगे इस आंदोलन को टुकड़े–टुकड़े गैंग और शाहीन बाग के लोग जरूर समर्थन करेंगे।
मेरे इस रिपोर्टिंग के बाद ट्विटर पर मेरे रिकॉर्ड की गई वीडियो को कई पत्रकारों ने सोशल एक्टिविस्ट लोंगो ने ट्वीट भी किया था, मेरे इस इंटरव्यू के बाद अगले ही दिन सिंधु बॉर्डर पर किसान आंदोलन का समर्थन करने शाहीन बाग की बिल्किस दादी भी पहुंच गई थी और टुकड़े टुकड़े गैंग के कार्यकर्ता भी इस आंदोलन में दिखने लगे यानी जो शक्तियां अदृश्य थी वह अब साफ साफ नजर आने लगी थी।
बुराड़ी मैदान में इस रिपोर्टिंग को करने के बाद मेरी ड्यूटी सिंधु बॉर्डर पर लगाई गई। सिंधु बॉर्डर पर किसानों की बीच मैंने कई दिन गुजारे इसमें भी कुछ तो हमारे देश के सच्चे किसान थे और कुछ किसान नेता जिनको चिंता इस बात की बिल्कुल नहीं थी कि यह सड़क बंद है, लोग कई दिनों से परेशान हैं, चिंता बस इस बात की थी सरकार इनके मनमानी को क्यों नहीं सुन रही है। सच्चे किसानों के कंधों पर बंदूक रखकर मोदी सरकार के खिलाफ लगातार विवादित भाषण सिंधु बॉर्डर के मंचों से दिन–रात चल रहे हैं। तकरीबन 4 किलोमीटर के दायरे को इन्होंने कवर कर रखा है जिनमें सड़कों पर हजारों की संख्या में किसान हैं और उनकी बड़ी–बड़ी ट्रैक्टर ट्रॉलीया उनके साथ हैं, किसान दिनभर बैठकर ताश के पत्ते खेलते हैं, हुक्का पीते हैं खाना खाते हैं, नारेबाजी करते हैं और शाम होने के बाद इन्हीं ट्रॉलीओं में बिस्तर लगा कर सो जाते हैं।
सरकार से चल रही वार्ता लगातार विफल होती नजर आ रही है। एक तरफ सरकार अपने स्टैंड पर कायम है तो दूसरी तरफ किसान भी अड़ा हुआ है, पुलिस और प्रशासन के लोग बड़े डर के मारे बैरिकेडिंग के उस पार खड़े रहते हैं, किसानों के झुंड में बिल्कुल नहीं दाखिल होते हैं क्योंकि मेरे ही सामने दर्जनभर पुलिस वालों के साथ बदतमीजी की गई थी। यहां तक कुछ मीडिया चैनलों के पत्रकारों को कैमरा बंद करवा कर यह किसान नेता मनमानी करते हैं। उनको दलाल मीडिया, गोदी मीडिया बोलते हैं। एक पत्रकार को तो किसानों ने मुर्गा बना दिया और माफी भी मंगवाई क्योंकि वह खालिस्तानी एंगल पर रिपोर्ट कर रहा था। इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस आंदोलन में खालिस्तानी नहीं है। सुरक्षा एजेंसियों को इस बात का डर सता रहा है कि इन सच्चे किसानों के साथ कुछ खालिस्तानी आतंकी भी राजधानी दिल्ली में घुसपैठ कर आए हैं कई वायरल वीडियो में तो यह बात भी साफ हो गई कि इस आंदोलन में खालिस्तान के लोग भी शामिल हैं।
किसान नेता ने कहा इस आंदलोन में कुछ बहरी लोग घुस आये हैं, हमने दिल्ली पुलिस को भी बताया है और उनको यहां से भगाया है
मैंने भी अपनी रिपोर्टिंग के दौरान घंटों किसानों के बीच में गुजारा जिसके बाद मेरे इंटरव्यू में एक किसान नेता ने यह बात मानी कि उनके इस आंदोलन में कुछ खालिस्तानी और बाहरी लोग घुस आए हैं, जो देश के प्रधानमंत्री को भद्दी भद्दी गालियां दे रहे हैं और देश विरोधी बातें कर रहे हैं, दरअसल इस किसान आंदोलन को जानबूझकर चलाया जा रहा है। इसके दो फायदे हैं, जो मुझे नजर आए:
- एक मोदी सरकार को किसान विरोधी साबित करना,
- दूसरा हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर जी के सरकार को ध्वस्त करना
इसीलिए तो कुछ किसान नेताओं ने जे जे पी को पत्र लिखकर खट्टर सरकार से समर्थन वापस लेने की बात भी की, तो वहीं दूसरी तरफ हमारे देश में अवार्ड वापसी गैंग के मेंबर भी इस आंदोलन में सक्रिय भूमिका में नजर आने लगे, जिन्होंने अपने अवार्ड वापस करने की धमकियां भी सरकार को दी, कुछ ने तो कर भी दिया। सब मिलाकर देखा जाए तो इस आंदोलन में आपको सब कुछ नजर आएगा, हमारे देश का वह सच्चा किसान भी जो घूम के तरह पीटा जा रहा है, हमारे देश के जवान भी जो 17- 17 घंटों की ड्यूटी कर रहे हैं, और कलाकार भी, कुछ नए बने किसान नेता भी, यूट्यूब चैनल वाले भी और राष्ट्रीय चैनल के पत्रकार भी, सभी अपना अपना काम कर रहे हैं लेकिन इस आंदोलन की नब्ज़ तो किसी और के पास ही है जो अपने फायदे के लिए दबा रहा है और पिस हमारे देश के सच्चे किसान रहें है।
फिलहाल हम किसी अनहोनी से इंकार नहीं कर सकते क्योंकि इस आंदोलन के माध्यम से कुछ देश विरोधी अपना एजेंडा साध सकते हैं। सरकार को शांति पूर्वक वार्ता करते हुए इस आंदोलन को समाप्त करवाना ही अंतिम विकल्प मात्र है।
कल सुबह दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पांच आतंकियों को दिल्ली के शकरपुर इलाके से गिरफ्तार किया इनके पास भारी मात्रा में हथियार बरामद हुए जिसमें दो खालिस्तानी आतंकी हैं और तीन जम्मू कश्मीर के रहने वाले मैंने अपनी 11 दिनों की रिपोर्टिंग में जो भी अनुभव महसूस किया जो दावा किया यह दावे इस बड़ी गिरफ्तारी के बाद और भी पुख्ता हो जाते हैं की इस किसान आंदोलन में हमारे किसानों के कंधों का उपयोग करके खालिस्तानी आतंकी राजधानी दिल्ली सहित पूरे देश का माहौल बिगाड़ना चाहते हैं यह बात सरकार को भी समझनी चाहिए और इस आंदोलन को एक स्वच्छ वातावरण में किसानों के सहमति के साथ फैसला लेकर समाप्त कर देना चाहिए।
किसान आंदोलन की आड़ में खालिस्तान का एजेंडा रचा जा रहा है
नोट– जिन बातों को मैंने लिखा है, शब्द शह यह मेरी राय है जो मैंने ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान देखा है और महसूस किया है समझा है..
Postscript:
- The Bharat Bandh organised today, 08 December, 2020 turned out to be a tame affair, as it was organised to serve just as a face saver from 11 am to 3 pm.
- The claim by Aam Aadmi Party on its official Twitter handle, that the Delhi Police had put Chief Minister Arvind Kejriwal under house arrest was outrightly refuted as false and baseless by the DCP/North.